सुबह जल्दी उठें, सिजोफ्रेनिया, अवसाद का खतरा कम होगा

सुबह जल्दी उठें, सिजोफ्रेनिया, अवसाद का खतरा कम होगा

सेहतराग टीम

एक प्रकार का पागलपन सिजोफ्रेनिया और अवसाद, देश की बड़ी आबादी को चपेट में ले रही है। खासकर जिंदगी इतनी तनावग्रस्‍त होती जा रही है कि अगर जिंदगी में अपनी मनमर्जी का कुछ न हो तो लोग तुरंत डिप्रेशन यानी अवसाद के शिकार बन जाते हैं। मगर अब कुछ नए शोधों ने इन समस्‍याओं के समाधान की दिशा में भी इशारा किया है।

एक अध्ययन में यह पाया गया कि जिन लोगों में आनुवांशिक रूप से सुबह जल्दी उठने की आदत होती है, उनका मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर हो सकता है और सिजोफ्रेनिया तथा अवसाद जैसे मनोविकारों को लेकर वह कम जोखिम के दायरे में होते हैं।

नेचर कम्युनिकेशंस नाम के जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में ‘बॉडी क्लॉक’ को लेकर कुछ अंदरूनी खुलासे हुए हैं और इस पर प्रकाश डाला गया है कि यह मानसिक स्वास्थ्य और बीमारियों से कैसे जुड़ा है। 

हालांकि इस अध्ययन के नतीजे का मधुमेह या मोटापे जैसी बीमारियों से किसी मजबूत संबंध होने का खुलासा नहीं हुआ है, जैसे की पूर्व में कयास लगाए जाते रहे हैं। 

ब्रिटेन में एक्सटर विश्वविद्यालय और अमेरिका के मैसाच्युसेट्स जनरल हॉस्पीटल (एमजीएच) के नेतृत्व में हुए इस अध्ययन में ‘बॉडी क्लॉक’ के लिये शरीर की मदद में आखों के रेटीना की अहम भूमिका को रेखांकित किया गया है।

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